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ज्ञाता०-सूची
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श्रु०१ अ०१८ घ- उत्कृष्ट शब्द गंध रस स्पर्श के पुद्गलों से अश्वों को आधीन
करना
ङ- निग्रंथ निग्रंथियों को भगवान महावीर की शिक्षा १३४ क- अश्वरत्न लेकर हस्तिशीर्ष नगर पहुँचना
ख- अश्वशिक्षकों से अश्वों को शिक्षा दिलाना
ग- निग्रंथ निग्रंथियों को म० महावीर की शिक्षा १३५ इन्द्रियलोलुप और इन्द्रियविजयी के गुणावगुण । उपसंहार
अष्टादशम सुसुमा अध्ययन १३६ क- उत्थानिका-राजगृह. धन्ना सार्थवाह. भद्रा भार्या. सार्थवाह
धन्ना-के पांच पुत्र और एक पुत्री सँसुमा, दास पुत्र चिलात
ख- चोरी की आदत के कारण चिलात का घर से निकालना १३७ क- सिंहगुफा नाम की चोर पल्ली. पांच सो चोरों का अधिपति
विजय चोर ख. चिलात विजय का प्रियशिष्य बना. विजय से उसने अनेक चोर विद्याएँ सीखी और विजय की मृत्यु के पश्चात् उसका उत्तरा
धिकारो बना १३८ साथियों सहित चिलात ने धन्ना सार्थवाह के घर चोरी की
_ और सुसुमा का अपहरण किया १३६ क- ग्राम रक्षकों को साथ लेकर धन्ना सार्थवाह और उसके पांच
पुत्रों ने चिलात का पीछा किया ख- चिलात सुसुमा का मस्तक काट कर ले भागा ग- भूखा प्यासा चिलात अटवी में मर गया । घ- निग्रंथ निग्रंथियों को भ० महावीर की शिक्षा ङ- क्षुधा पिपासा से पीडित धन्ना सार्थवाह और उसके पुत्रों ने
बहन सुसुमा के कलेवर को पका कर खाया च- धन्ना और उसके पांचों पुत्रों का राजगृह में आगमन
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