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________________ ज्ञाता०-सूची ४५६ श्रु०१ अ०१६ वासुदेव के होने का निषेध तथा मिलने का निषेध ङ- श्री कृष्ण और कपिल वासुदेव का पांचजन्य शंखनाद से मिलन : च- कपिल वासुदेव द्वारा पद्मनाभ का देश निष्कासन और पद्मनाभ के पुत्र का राज्याभिषेक १२६ क- पाण्डवों का नौका द्वारा गंगा नदी उत्तीर्ण होना. बल परीक्षा के लिये श्री कृष्ण हेतु नौका न ले जाना ख- क्रुद्ध श्री कृष्ण द्वारा पाण्डवों के रथों का चूर्ण कर देना, देश निकाला देना और रथमर्दन कोट की स्थापना करना ग- श्री कृष्ण का ससैन्य द्वारिका पहुँचना १२७ क- पाण्डवों का हस्तिनापुर में आगमन. अमरकंका की विजय. पाण्डु राजा से यात्रा के वृतान्त का निवेदन ख- पाण्डुराजा और कुंतीदेवी का द्वारिका आगमन ग- श्री कृष्ण का पाण्डु-मथुरा बसाने का आदेश घ- दक्षिण समुद्र तट पर पाण्डु-मथुरा बसाना और उसमें निवास करना १२८ क- द्रौपदी के आत्मज-पण्डुसेन का जन्म ख- अध्ययन. विवाह. युवराज पद ग- स्थविरों का आगमन. पाण्डवों का धर्मश्रवण. प्रव्रज्या लेने का संकल्प घ- पाण्डुसेन का राज्याभिषेक ङ- पाण्डवों की प्रव्रज्या. चौदह पूर्वो का अध्ययन. तपश्चर्या १२६ द्रौपदी की सूव्रता आर्या के समीप प्रव्रज्या. ग्यारह अंगों का अध्ययन. तपाराधना १३० क- स्थविरों का पाण्डु-मथुरा के सहस्राम्रवन से विहार ख- 'भ० नेमनाथ इस समय सौराष्ट्र में हैं' यह संवाद पाण्डव मुनियों को प्राप्त हुआ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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