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आचारांग-सूची
२० श्रु०१, अ०५, उ०६ सू०१६७ कर्मक्षय के लिये प्रयत्न स्त्री के संसर्ग का निषेध स्त्री से विरक्त होने के उपाय स्त्री-सुख से पूर्व या पश्चात् कष्ट अवश्यम्भावी है युद्ध का निमित्त-स्त्री स्त्री-कथा, स्त्री-दर्शन तथा ममत्व, स्वागत, बातचीत एवं स्त्री की अभिलाषा का निषेध
मुनिधर्म सूत्र संख्या ४
पंचम ह्रदोपम उद्देशक १६१ क
आचार्य को जलाशय की उपमा
" के समान श्रमण १६२ क विचिकित्सा (असमाधि)
आचार्य का अनुसरण न करने पर खेद जो जिन-प्रवेदित है वह सत्य है श्रद्धा के चार भांगे सम्यक्त्वी का चिन्तन-सम्यक् परिणमन मिथ्यात्वी का चिंतन-असम्यक् परिणमन सम्यक चितन से कर्मक्षय बाल-भाव का निषेध
अहिंसा का मनोविज्ञान १६६ क आत्मा विज्ञानात्मा
___ ख ज्ञान और आत्मा अभिन्न है सूत्र संख्या ६
षष्ठ उन्मार्ग वर्जन उद्देशक १६७ क आज्ञा-धर्म
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