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श्रु०१, अ०६. उ०१ सू०१७४ २१
आचारांग-सूची गुरु के तत्त्वावधान में रहना १६८ क तत्त्वदर्शन
जिनाज्ञा की आराधना प्रवाद-परीक्षा
वस्तु स्वरूप का बोध १६६ क
स्वसिद्धान्त और परसिद्धान्त का ज्ञान गुप्तात्मा संयमी
अप्रमाद १७० क सर्वत्र आश्रव
अकर्मा होने के लिये प्रयत्न
कर्म-चक्र १७१ क
गति-आगति मोक्षसुख
मा का स्वरूप सूत्र संख्या ६
षष्ठ धूत अध्ययन प्रथम स्वजन विधूनन उद्देशक उपदेश मुक्तिमार्ग का कथन संक्लिष्ट व्यक्ति कमलाच्छादित जलाशय और कूर्म का उदाहरण वृक्ष का उदाहरण सोलह रोग
जन्म-मरण का अन्त १७४ क दुःख (मोहान्ध)
हिंसा
위
죄
의
이
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