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________________ ज्ञाता०-सूची ४४६ श्रु०१ अ०८ ___ङ- मल्ली विदेहराजकन्या का निष्क्रमण संकल्प ७६ क- शक्रासन का कंपन ख- मल्ली अर्हत का एक वर्ष पर्यन्त श्रमण ब्रह्मणों को भोजनदान ___और इच्छित दान स्वर्णदान ७७ क- निष्क्रमण महोत्सव का वर्णन ख- मल्ली अहंत का स्वयमेव पंचमुष्टि केश झुंचन. शक्र का केश ग्रहण ग- मल्ली अर्हत की दीक्षा तिथि. मल्ली अहंत का पूर्वाह में सामा यिक चारित्र ग्रहण करना घ- मनः पर्यवज्ञान की प्राप्ति ङ- छ सो स्त्रियाँ और आठ राजकुमारों का साथ में दीक्षित होना च- नंदीश्वर द्वीप में अष्टाह्नि का दीक्षा महोत्सव छ- मल्ली अर्हत को दीक्षा के दिन ही अपराह्न में केवल ज्ञान होना ७८ क- नंदीश्वर द्वीप में अष्टाह्निका केवलज्ञान महोत्सव ख- कुंभ राजा का श्रमणोपासक होना. मल्ली अहंत का धर्मोपदेश ___ जितशत्रु आदि छः राजाओं का दीक्षित होना० मल्ली अहंत का विहार ग- मल्ली अहंत के गण गणधर श्रमण श्रमणियाँ श्रावक श्राविकायें चौदह पूर्व धारी मुनि अवधिज्ञानी मुनि केवल ज्ञानी वक्रियलब्धि सम्पन्न मुनि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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