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श्रु०१ अ०५
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ज्ञाता०-सूची सांख्य सिद्धान्त, पांच यम, पांच नियम, दस प्रकार का परि
व्राजक धर्म च- सुदर्शन को शौचमूलक धर्म का उपदेश छ- दो प्रकार का शौच, द्रव्य शौच और भाव शौच की व्याख्या, . शौचधर्म से स्वर्ग की प्राप्ति, सुदर्शन का शौचधर्म स्वीकार
करना ज- शुक परिव्राजक का जनपद में विहार झ- श्री थावच्चापुत्र अणगार का आगमन, परिषद् में सुदर्शन की
उपस्थिति. दो प्रकार का विनयमूल धर्म. अगार धर्म के बारह व्रत, इग्यारह उपासक प्रतिमाओं का आराधन. अणगार धर्म में अठारह पाप विरति, दस प्रत्याख्यान. बारह भिक्षु प्रतिमा, विनयमूल धर्म से मोक्ष अ- सुदर्शन द्वारा शौचधर्म का प्रतिपादन ट- थावच्चा द्वारा शौचधर्म का परिहार, रक्तरंजित वस्त्र का
उदाहरण ठ- सुदर्शन की विनयमूलक धर्म में श्रद्धा ड- पुनः शुक परिव्राजक का सौगंधिका में आना, सुदर्शन को पुनः
शौचमूल धर्म में प्रतिष्ठापित करने का प्रयत्न करना ढ- सुदर्शन के साथ शुक परिव्राजक का थावच्चा पुत्र अणगार के
समीप पहुंचना ण- थावच्चापुत्र से शुक के कुछ प्रश्न त- शुक की अर्हत् प्रव्रज्या, चौदह पूर्व का अध्ययन
थावच्चा पुत्र का विहार, पुंडरीक पर्वत पर अन्तिम आराधना
सिद्धि ५६ क- शुक श्रमण का शेलकपुर के सुभूमि भाग उद्यान में पदार्पण
शेलक का धर्म श्रवण, मण्डूक को राज्य देकर शेलक राजा का पंथक प्रमुख पांचसो मंत्रियों के साथ प्रबजित होना
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