SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 467
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ज्ञाता०-सूची ४३६ श्रु०१ अ०५ उग्रसेन प्रमुख सोलह हजार राजा प्रद्युम्न " साढ़े तीन क्रोड़ कुमार सांब साठ हजार पराक्रमी वीरसेन " इक्कीस हजार वीर महासेन छप्पन हजार बलवान रुक्मणी " बत्तीस हजार रानियाँ अनङ्ग सेना " हजारों गणिकायें अन्य अनेक " सार्थवाह आदि । ५३ क- थावच्चा गाथापत्नि. थावच्चापुत्र कुमार का अध्ययन ख- बत्तीस श्रेष्ठी कन्याओं के साथ थावच्चा पुत्र का पाणिग्रहण ग- भ० अरिष्ट नेमी का समवसरण, दशधनुष की ऊँचाई, अठारह हजार श्रमण, चालीस हजार श्रमणियाँ घ- सुधर्मा सभा, कौमुदी भैरी का वादन ५४ क- थावच्चा पुत्र का वैराग्य, दीक्षा महोत्सव के लिए श्रीकृष्ण से थावच्चा भार्या का निवेदन ख- श्री कृष्ण द्वारा थावच्चा पुत्र के वैराग्य की परीक्षा ग- थावच्चा पुत्र की प्रव्रज्या घ- भ० अरिष्टनेमी से आज्ञा प्राप्त करके एकहजार अणगार के साथ थावच्चापुत्र का जनपद में विहार ५५ क- सेलकपुर, सुभूमिभाग उद्यान, सेलक राजा, पद्मावती रानी, युवराज मण्डूककुमार, पंथक प्रमुख पाँच सो मंत्रीगण ख- थावच्चा पुत्र अणगार को शेलकपुर में पदार्पण, धर्मकथा, राजा और मंत्रियों का द्वादश ब्रत स्वीकार करना ग- सौगंधिका नगरी वर्णन, नीलाशोक उद्यान घ- सुदर्शन नगर शेठ ङ- शुकदेव, परिव्राजक-वस्ति, चार वेदों के नाम, षष्ठी तंत्र, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy