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श्रु०१ अ०५
ज्ञाता०-सूची ४८ दोनों मित्रों द्वारा मयूरी के दोनों अण्डों को उठाना ४६ क- मुर्गी के अण्डों के साथ वन मयूरी के अण्डों का पालन
ख- सागरदत्त की अण्डे के सम्बन्ध में शंका. अण्डे का नष्ट होना क- जिनदत्त का अण्डे के सम्बन्ध में संदेह न करना ख- मयूरपालक द्वारा नृत्य तथा द्यूत क्रीड़ा शिक्षा घ- निग्रंथ निग्रंथियों को भ० महावीर की सिम्यक्त्व के प्रथम शंका अतिचार की निवृत्ति के सम्बन्ध में शिक्षा
चतुर्थ कूर्म अध्ययन
इन्द्रिय जय . ५१ क- उत्थानिका-वाराणसी नगरी
ख- मालुका कच्छ में दो शृगाल ग- संध्या के समय द्रह से निकलकर दो कूर्मों का. खाद्य-गवेषणा
के लिए मालुका कच्छ की ओर जाना घ- शृगालों का कूर्मों की घात में बैठना ङ- चंचल चित्त कूर्म का शृगाल द्वारा मारा जाना च- स्थिरचित्त कूर्म का बचना छ- निग्रंथ निर्गथियों को भ० महावीर की [पाँचों इन्द्रियों को वश करने के सम्बन्ध में] शिक्षा
पंचम ज्ञात अध्ययन
प्रमाद परिहार ५२ क- द्वारका नगरी वर्णन. रैवतक पर्वत. नंदनवन उद्यान वर्णन
सुरप्रिय यक्षायतन कृष्ण वासुदेव दक्षिणार्धभरत की राजधानी द्वारिका का वैभव
समुद्र विजय प्रमुख दश दशार बलदेव " पाँच महावीर
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