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________________ ४१ श्रु० १ अ०३ ज्ञाता०-सूची ख- देवदिन्न के आभूषण ले लेना और मार कर भग्नकूप में डाल देना देवदिन्न की शोध. बाल हत्यारे विजय चोर को कारागृह का कठोर दण्ड ४० क- कर चोरी के अपराध में धन्ना सार्थ को कारागृह का दण्ड धन्ना सार्थवाह और विजय चोर का एक बेड़ी से बन्धन ख- धन्ना सार्थवाह के लिए पंथक का भोजन ले जाना ग- धन्ना सार्थवाह का विजय चोर को भोजन देना क- विजय चोर को भोजन देने से भद्रा सार्थवाही का रुष्ट होना ख- धन्ना सार्थवाही की कारागृह से मुक्ति ग- विजय चोर को भोजन देने का कारण बताने से भद्रा की नाराजगी का मिटना घ- विजय चोर की मृत्यु. नरक गति ङ- भ० महावीर द्वारा निर्ग्रथ निग्रंथियों को शिक्षा ४२ क- धर्मघोष स्थविर का पदार्पण ख- धन्ना सार्थवाह की प्रव्रज्या ग- अन्तिम आराधना घ- सौधर्म कल्प में देव होना. चार पल्य की स्थिति. च्यवन. ङ- महाविदेह में जन्म और निर्वाण . ४३ भ० महावीर द्वारा निर्ग्रथ निग्रंथियों को शिक्षा तृतीय अण्ड अध्ययन शंका न करना ४४ क- उत्थानिका—चंपा नगरी. सुभूमि भाग उद्यान. मालुका कच्छ मयूरी के दो अंडे. दो सार्थवाह पुत्र ४५ जिनदत्त और सागरदत्त की मैत्री ४६-४७ देवदत्ता गणिका के साथ दोनों मित्रों की वन क्रीड़ा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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