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________________ ज्ञता० - सूची २८ २६ ३० ३१ ३२ ३३ ३४ ३५ ३६ ३७ ३८ ४३६ ङ - एक योजन का मण्डल बनाना च - शशक की रक्षा करना छ- तीन दिन पश्चात् मृत्यु. मेघ कुमार के रूप में जन्म क- मेघ मुनि को पूर्व जन्मों की स्मृति ख- श्रमण संघ की सेवा के लिये मेघ मुनि की दृढ़ प्रतिज्ञा ग- मेघ मुनि का पुनः प्रव्रज्या ग्रहण घ- इग्यारह अंगों का अध्ययन. विविध प्रकार के तप ङ - भ० महावीर का विहार मेघमुनि की द्वादश श्रमण प्रतिमा आराधना क- मेघ मुनि की विपुलगिरि पर अन्तिम आराधना क - मेघ मुनि की विजय विमान में उपपत्ति ख- तेतीस सागर की स्थिति. च्यवन. महाविदेह में जन्म. निर्वाण द्वितीय संघाटक अध्ययन रत्नत्रय की आराधना के लिए आहार करना उत्थानिका—- राजगृह, गुणशील चैत्य, जीर्ण उद्यान. भग्नकूप.. मालुका कच्छ धन्ना सार्थवाह, भद्रा भार्या श्रु० १ अ०२ पंथक दास, धन्ना सार्थवाह का व्यक्तित्व विजय चौर का क्रूर जीवन क- भद्रा की पुत्र प्राप्ति के लिये चिन्ता ख- भद्रा द्वारा अनेक देव देवियों की पूजा अर्चना. गर्भ स्थिति भद्रा के दोहद की पूर्ति ग- देवदिन्न का जन्म जन्मोत्सव क- देवदिन्न को क्रीड़ा के लिए पथक का ले जाना. विजय चौर द्वारा देवदिन्न का अपहरण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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