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________________ ज्ञाता०-सूची ४३५ श्रु०१ अ०१ ग- आठ राज कन्याओं द्वारा बत्तीस प्रकार के नृत्यों का प्रदर्शन २१ भ० महावीर का गुणशील चैत्य में समवसरण. धर्म परिषद में प्रवचन २२ क- भ० महावीर के दर्शनार्थ मेघ कुमार का जाना ख- पांच प्रकार के अभिगम ___ग- भ० महावीर की धर्म कथा मेघ कुमार को वैराग्य. प्रव्रज्या के लिए माता-पिताओं से आज्ञा प्राप्त करना २४ क- मेघ कुमार को माता पिताओं का समझाना ख- मनुष्य जीवन की नश्वरता ग- काम भोगों का स्वरूप घ- निग्रंथ प्रवचन की महत्ता ङ- साधु जीवन का वर्णन च- आहार एषणा की कठिनता छ- मेघ कुमार का दृढ़ वैराग्य क- मेघ कुमार का राज्याभिषेक ख- रजोहरण, पात्र और काश्यप के लिए तीन लाख सुवर्ण मुद्राएँ देने का आदेश ग- मेघ कुमार का दीक्षा महोत्सव क- मेघ कुमार की प्रव्रज्या ख- मेघ मुनि को रात्रि में शय्या परीषह ग- मेघ मुनि का भ० महावीर की वंदना के लिए जाना क- भ० महावीर द्वारा मेघ कुमार मुनि के पूर्वभवों का प्रतिपादन ख- सुमेरुप्रभ हाथी का वर्णन ग- वैताढ्यगिरि की तलहटी का वर्णन घ- तृषा पीडित सुमेरुप्रभ हाथी की मृत्यु, पुनः हाथी के रूप में जन्म Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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