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श्रु०१ अ०७
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झाता-सूची ख- शुक श्रमण की पुण्डरीक पर्वत पर अन्तिम आराधना. निर्वाण ५७ शेलक राजर्षि का अस्वस्थ होना, चिकित्सा के लिए सेलकपुर
पहुँचना, स्वस्थ होने पर भी सेलकपुर न छोडना ५८ क- शेलक राजर्षि की सेवा में अकेले पंथक मुनि का रहना, अन्य
श्रमणों का विहार ५६ चातुर्मासिक प्रतिक्रमण के दिन शेलक राजर्षि का प्रबुद्ध होना,
विहार करना ६० निग्रंथ गिग्रंथियों को भ० महावीर द्वारा प्रतिबोध ६१ क- शेलक-राजर्षि की पुण्डरीक पर्वत पर अन्तिम आराधना,
सिद्ध पद की प्राप्ति ख- निग्रंथ निग्रंथियों को भ० महावीर की शिक्षा
षष्ठ तुम्बक अध्ययन
जीव का गुरुत्व लघुत्व ६२ क- उत्थानिका----राजगृह, भ० महावीर और इन्द्रभूति ख- जीव के गुरुत्व-लघुत्व का कारण, मृत्तिका लिप्त तुम्ब का उदाहरण
सप्तम रोहिणी अध्ययन
पाँच महाव्रतों की वृद्धि ६३ क- राजगृह नगर, सुभूमि भाग उद्यान, धन्ना सार्थवाह द्वारा पाँच
शालिकणों से चार पुत्रवधुओं की परीक्षा चारों को चार
प्रकार के कार्य देना ख- भ० महावीर का रोहिणी के समान निग्रंथ निग्रंथियों को
पाँच महाव्रतों की वृद्धि का उपदेश
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