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________________ भगवती-सूची ४०२ श०२५ उ० ५ प्र० २० एक स्तोक-यावत्-उत्सर्पिणी के समय एक पुद्गल परिवर्त्त के समय आवलिकाओं के समय श्वासोच्छवासों के समय स्तोकों के समय पुद्गल परिवर्तों के समय श्रावलिका ___ क- एक श्वासोच्छवास की आवलिकायें ख- एक स्तोक-यावत्-शीर्ष प्रहेलिका की आवलिकायें क- एक पल्योपम की आवलिकायें ख- एक सागरोपम-यावत्-एक उत्सर्पिणी की आवलिकायें एक पुद्गल परिवर्त-यावत्-सर्वकाल की आवलिकायें अनेक श्वासोच्छवासों की-यावत्-अनेक शीर्ष प्रहेलिकाओं की आवलिकायें अनेक पल्योपमों की-यावत्-अनेक उत्सपिणीयों की आवलिकायें अनेक पुद्गल-परिवर्तों की आवलिकायें श्वासोच्छ्वास एक स्तोक-यावत्-एक शीर्ष प्रहेलिका के श्वासोच्छवास पल्योपम क- एक सागरोपम के पल्योपम ख- एक अवसर्पिणी या उत्सपिणी के पल्योपम क- एक पुद्गल परिवर्त के पल्योपम ख- सर्व काल के पल्योपम-यावत्-अनेक अवसर्पिणीयों के पल्योपम अनेक सागरोपमों के पल्योपम २० अनेक पुद्गल परिवर्तों के पल्योपम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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