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________________ श० २५ ३०५ प्र० ३ कृतयुग्म आदि होना ८४ अनर्ध परमाणु पुद्गल ८५-८७ द्विप्रदेशिक स्कंध यावत् - अनन्त प्रदेशिक स्कंध सार्ध- अनर्ध ८८ परमाणु - यावत् अनन्त प्रदेशिक स्कंध सकम्प निष्कम्प बहुवचन की अपेक्षा - सकम्प निष्कम्प दह ६०-६३ परमाणु पुद्गलों का सकम्प - निष्कम्प काल ६४-६७ ६८ - १०० परमाणु - यावत् - अनन्त प्रदेशिक स्कंधों के कम्पन का अन्तर सकम्प - निष्कम्प परमाणु-यावत् अनन्त प्रदेशिक स्कन्धों का अल्प-बहुत्व १०१-१०४ परमाणु- यावत् - अनन्त प्रदेशिक स्कन्धों का एक देशीय कम्पन अथवा सर्वदेशीय कम्पन १०५-११४ परमाणु- यावत् अनन्त प्रदेशिक स्कन्धों के एक देशीय या सर्वदेशीय कम्पन का अथवा निष्कम्पन का काल ११५- १२४ परमाणु- यावत् - अनन्त प्रदेशिक स्कन्धों के एक देशीय सकम्प निष्कम्प का अन्तर १२८ ४०१ १२५-१२७ एक देशीय या सर्वदेशीय सकम्प निष्कम्प परमाणु-यावत्अनन्त प्रदेशिक स्कन्धों का अल्प - बहुत्व परमाणु-यावत्-अनन्त प्रदेशिक स्कन्धों का द्रव्य, प्रदेश की अपेक्षा अल्प - बहुत्त्व १३५ १२६ - १३२ धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय आकाशास्तिकाय और जीवा - स्तिकाय के मध्य-प्रदेश जीवास्तिकाय के मध्यप्रदेशों की अवगाहना १ २ भगवती-सूची पंचम पर्यव उद्देशक दो प्रकार के पर्यव कालद्रव्य एक आवलिका के समय एक श्वासोच्छ्वास के समय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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