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________________ भगवती-सूची ४०० श०२५ श०२५ उ०४ प्र० ८३. । .४० एक समय की स्थिति वाले पुद्गल ४१ एक गुण कृष्ण-यावत्-अनन्त गुण रुक्ष पुद्गल ४२-४६ परमाणु-यावत्-अनन्त प्रदेशिक स्कंध का अल्प-बहुत्व ४७-४८ परमाणु-यावत् अनन्त प्रदेशिक स्कन्धों के प्रदेशों का अल्प बहुत्व प्रदेशावगाढ पुद्गलों का द्रव्य रूप में अल्प-बहुत्व प्रदेशावगाढ पुद्गलों का प्रदेश रूप में अल्प-बहुत्व एक समय की स्थितिवाले पुद्गलों का अल्प-बहुत्व ५२-५३ वर्ण गंध रस और स्पर्श विशिष्ट पुद्गलों का अल्प-बहुत्व ५४ परमाणु-यावत्-अनन्त प्रदेशिक स्कन्धों का द्रव्यार्थ रूप में अल्प-बहुत्व प्रदेशावगाढ पुद्गलों का द्रव्यार्थरूप में अल्प-बहुत्व एक समय की स्थितिवाले पुद्गलों का द्रव्यार्थरूप में अल्प-बहुत्व ५७-५८ वर्णादि विशिष्ट पुद्गलों का द्रव्यार्थ और प्रदेशार्थरूप में अल्प-बहुत्व ५६ परमाणु-यावत्-अनन्त प्रदेशिक स्कंधों की द्रव्यार्थरूप में कृतयुग्मादि राशि परमाणु-यावत्-अनन्त प्रदेशिक स्कंधों की सामान्य तथा विशेष विवक्षा से कृतयुग्मादि राशि ६१-७० परमाणु-यावत्-अनन्त प्रदेशिक स्कंधों के प्रदेशों की कृतयुग्मादि राशि ७१-७८ परमाणु-यावत्-अनन्त प्रदेशिक स्कंधों का कृतयुग्म प्रदेशाव गाढ आदि ७९-८० परमाणु-यावत्-अनन्त प्रदेशिक स्कंधों की कृतयुग्म समय आदि की स्थिति ८१-८३ परमाणु पुद्गल-यावत्-अनन्त प्रदेशिक स्कंधों के पर्यायों का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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