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________________ भगवती-सूची ३७२ श०१७ उ०१ प्र०१५ २ उदायी हस्ती का परभव ३ उदायी हस्ती का तृतीय भव, महाविदेह में जन्म और निर्वाण भूतानन्द हस्ती का पूर्वभव और परभव उदायी के समान क्रिया विचार ५ क- ताड़ वृक्षपर चढ़कर ताड़ फल गिराने वाले को लगने वाली क्रियायें ख- ताडवृक्ष और ताड़ फल जिन जीवों के शरीर से बना है , उन जीवों को लगने वाली क्रियायें गिरते हुए ताड़-फल से यदि जीव वध हो तो-१ फल गिराने वाले पुरुष को ताड़ वृक्ष के जीवों को ३ ताड़-फल के जीवों को ४ ताड़-फल के उपकारी जीवों को लगने वाली क्रियायें ७ क- वृक्ष-मूल हिलाने वाले को तथा गिरानेवाले को लगने वाली क्रियायें ख- वृक्ष-मूल तथा बीज आदि के शरीर जिन जीवों से बने हुए हैं उन जीवों को लगने वाली क्रियायें गिरते हुए वृक्ष से यदि जीववध हो तो १ वृक्ष गिरने वाले पुरुष को २ मूल तथा बीज आदि के जीवों को ३ मूल आदि के उपकारों जीवों को लगने वाली क्रियायें वृक्ष का कन्द हिलाने वाले पुरुष को प्रश्नांक ६ के समान गिरते हुए कन्द से यदि जीववध हो तो प्रश्नांक ३ के समान ११-१३ शरीर इन्द्रिय और योग १४ दश दण्डकों में औदारिक शरीर का बंधक, एक जीव को लगने वाली क्रियायें १५ क- दश दण्डकों में औदारिक शरीर के बंधक, बहुत से जीवों को लगनेवाली क्रियायें ख- शेष शरीर के बंधकों को लगने जाली क्रियायें भ- पांचों इन्द्रियों के बंधकों को लगने वाली क्रियाये Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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