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________________ श०१७ उ०१ प्र० १ ६० -९३ ६१ क- देव का अलोक में हाथ पसारना सम्भव नहीं ख- हाथ न पसारसकने का हेतु नवम बलिन्द्र उद्देशक ६२ क- बलीन्द्र ( वैरोचनेन्द्र ) की सुधर्मा सभा ख- बलिचंचा राजधानी का विष्कम्भ ग- बलीन्द्र की स्थिति २५ ६६ ६७ ३७१ एक समय में परमाणु की गति क्रिया विचार ६८ £ & वर्षा की जानकारी के लिए हाथ पसारनेवाले को लगने वाली क्रियाएं एकादशम द्वीपकुमार उद्देशक -९४ द्वीपकुमारों का समान आहार, समान उच्छ्वास - निश्वास द्वीपकुमारों के चार लेश्या चार लेश्यावाले द्वीपकुमारों का अल्प - बहुत्व चार लेश्यावाले द्वीपकुमारों में अल्पऋद्धिक - महर्षिक की दशम अवधिज्ञान उद्देशक दो प्रकार का अवधिज्ञान अल्प-बहुत्व द्वादशम उदधिकुमार उद्देशक उदधि कुमारों के सम्बन्ध में – एकादश उद्देशक के समान त्रयोदशम दिक्कुमार उद्देशक दिक्कुमारों के संबन्ध में एकादश उद्देशक के समान सतरहवाँ शतक प्रथम कुंजर उद्देशक राजगृह, भ० महावीर और गौतम भगवती-सूची क ख- उदायी हस्ती का पूर्वभव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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