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भगवती-सूची
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श०१६ उ०८ प्र०८९
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'५२-५३
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षष्ठ स्वप्न उद्देशक पांच प्रकार का स्वप्न स्वप्न देखने का समय जीव सुप्त, जागृत और सुप्त-जागृत चौवीस दण्डक के जीव सुप्त, जागृत और सुप्त-जागृत संवृतादि का सत्यासत्य स्वप्न जीव-संवृत, असंवत और संवृतासंवृत बयालीस प्रकार के स्वप्न तीस प्रकार के महास्वप्न स्वप्न और महास्वप्न की संयुक्त संख्या तीर्थंकर की माता के स्वप्न चक्रवर्ती की माता के स्वप्न वासुदेवकी माता के स्वप्न बलदेव की माता के स्वप्न मंडलिक की माता के स्वप्न भ० महावीर की छद्मस्थ अवस्था के स्वप्न और उनका फल मुक्त होने वालों के स्वप्न कोष्टपुट-यावत्-केतकीपुट के पुद्गलों का वायु के साथ वहन सप्तम उपयोग उद्देशक दो प्रकार के उपयोग अष्टम लोक उद्देशक लोक की महानता-यावत्-परिधि लोक के पूर्वान्त आदि जीव नहीं किन्तु जीवदेश, जीवप्रदेश, अजीव, अजीवदेश और अजीवप्रदेश हैं रत्नप्रभा के पूर्वान्त आदि से-यावत्-ईषत्प्राग्भारा के पूर्वान्त आदि पर्यन्त पुद्गल
६४-६५ ६६-८०
८४-८७
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