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________________ श० १३ उ० ७ प्र० ११२ ६७ हद ६६ १०० १०३ १०४ १०१ १०२ क- काया कथंचित् रूपी अरूपी ख- काया कथंचित् सचित्त-अचित्त ३५५ मन मन पुद्गलरूप है मनन के समय मन है मन का भेदन चार प्रकार का मन काया काया का अत्मा से कथंचित् भिन्नाभिन्न संबंध ११० १११ मरण १०५ पांच प्रकार का मरण पांच प्रकार का आवीचिक मरण १०६ १०७ क चार प्रकार का द्रव्य आवीचिक मरण ख- चार प्रकार का क्षेत्र आवीचिक मरण ग- चार प्रकार का काल आवीचिक मरण घ- चार प्रकार का भाव आवीचिक मरण १०८ - १०६ नैरयिक क्षेत्र आवीचिक मरण कहने का हेतु पांच प्रकार का अवधिमरण चार प्रकार का द्रव्य अवधिमरण ११२ क- नैरयिक द्रव्य अवधिमरण कहने का हेतु ख- क्षेत्र अवधिमरण ग- काल अवधिमरण ग- काया कथंचित् जीवरूप- अजीवरूप घ- काया जीव और अजीव दोनों के होती है काया और जीव के संबंध से पूर्व या पश्चात् भी काय काय का भेदन सात प्रकार की काया Jain Education International भगवती-सूची For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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