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________________ श०१२ उ०१० प्र०१३६ १११ ११२ ११३ ११४ ११५ ११६ ११७ ११८ ११६ १२० १२१ • १२२ १२३ १२४ १२५ १२६ १२७ १२८ १२६ १३५ १३६ ३४६ नरदेव की स्थिति धर्मदेव की स्थिति देवाधिदेव की स्थिति भावदेव की स्थिति क- भव्य द्रव्य देव की विकुर्वणा शक्ति ख- नरदेव की विकुर्वणा शक्ति ग- धर्मदेव की विकुर्वणा शक्ति देवाधिदेव की विकुर्वणा शक्ति भावदेव की विकुर्वणा शक्ति भव्य द्रव्य देव की मरणोत्तर गति नरदेव की मरणोत्तर गति धर्मदेव की मरणोत्तर गति देवाधिदेव की मरणोत्तर गति भावदेव की मरणोत्तर गति भव्य द्रव्य देव का अन्तर नरदेव का अन्तर धर्मदेव का अन्तर देवाधिदेव का अन्तर भावदेव का अन्तर पांच देवों का अल्प- बहुत्व भावदेवों का अल्प - बहुत्व दशम आत्मा उद्देशक आठ प्रकार का आत्मा १३० १३१-१३४ आठ आत्माओं का परस्पर सम्बन्ध आठ आत्माओं का अल्प-ब प- बहुत्व आत्मा ज्ञान स्वरूप है Jain Education International For Private & Personal Use Only भगवती-सूची www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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