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________________ भगवती-सूची श०६उ०३३ प्र०३५ ख- उत्पात और उद्वर्तन के हेतु ६६ भ० महावीर स्वयं ज्ञाता है १००-१०२ चौवीस दण्डक के जीव स्वयं उत्पन्न होते हैं १०३ क-पार्वापत्य गांगेय का पंच महाव्रत ग्रहण ख- पाश्र्वापत्य गांगेय का निर्वाण तेतीसवाँ कुंड ग्राम उद्देशक सूत्रांक १ ब्राह्मण कंडग्राम, बहुसाल चैत्य ऋषभदत्त ब्राह्मण देवानंदा ब्राह्मणी भ० महावीर का पदार्पण भ० महावीर की वंदना के लिये ऋषभदत्त और देवानन्दा का गमन देवानन्दा के स्तनों से दुग्धधारा का क्षरण ५ दुग्धधारा का हेतु पुत्र-स्नेह ६ ऋषभदत्त का प्रव्रज्या ग्रहण एवं मुक्ति ७ क- देवानंदा की प्रव्रज्या साधना ८-२२ क्षत्रिय कुंड ग्राम, जमाली क्षत्रिय कुमार जमाली का भ० महावीर की वंदना के लिये जाना २३-२६ जमाली की पांचसो पुरुषों के साथ प्रव्रज्या जमाली का भ० महावीर से स्वतंत्र विचरण के लिये अनुमति प्राप्त करना पांचसौ मुनियों के साथ जमाली का विहार ३१-३२ जमाली का श्रावस्ती नगरी के कोष्ठक चैत्य में गमन भ० महावीर का चम्पानगरी, पूर्णभद्र चैत्य में गमन अस्वस्थ जमाली और उसकी विपरीत प्ररूपणा गौतम-जमाली संवाद-संवाद का विषय लोक और जीव का शास्वत या अशास्वत होना जमाली की आशंका ३५ भ० महावीर द्वारा समाधान ३४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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