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________________ श०६ उ०३१ प्र०५४ २६ अवधिज्ञानियों का संस्थान २७ अवधिज्ञानियों की ऊँचाई २८ अवधिज्ञानियों का आयु २६ अवधिज्ञानियों में वेद ३० अवधिज्ञानियों में कषाय अवधिज्ञानियों के अध्यवसाय ३१ ३२ अवधिज्ञानियों की मुक्ति अवधिज्ञानियों का कषायक्षय ३३ ३४ ३५ ३६ ३७ ३८ ३६ ४० ३३० ४१ ४२ ४३ ४४ अश्रुत्वा केवली धर्मोपदेश नहीं करते अश्रुत्वा केवली दीक्षा नहीं देते अश्रुत्वा केवली सिद्ध होते हैं अश्रुत्वा केवलियों के संभावित स्थान एक समय में अश्रुत्वा केवलियों की संख्या धर्म श्रवण केवली आदि से धर्म श्रवण करके धर्म की प्राप्ति केवली आदि से धर्म श्रवण करके सम्यक्त्व की प्राप्ति केवली आदि से धर्मश्रवण करके अवधिज्ञान की प्राप्ति अवधिज्ञानियों में लेश्या अवधिज्ञानियों में ज्ञान यावत् - अवधिज्ञानियों का आयुष्य अवधिज्ञानियों में वेद ४५ अवधिज्ञानियों में कषाय ४६ केवली आदि से धर्मश्रवण करके धर्मोपदेश करें ४७-४६ केवली आदि से धर्मश्रवण करके दीक्षा दें ५०-५२ केवली आदि से धर्मश्रवण करनेवाला सिद्ध होता है ५३ श्रुत्वा केवलियों के संभावित स्थान ૪ एक समय में श्रुत्वा केवलियों की संख्या Jain Education International भगवती-सूची For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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