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श०८ उ०६-१० प्र०४२५
नवम प्रयोग बन्ध उद्देशक
दो प्रकार के बन्ध
दो प्रकार के विस्रसा बंध
३०७-३१० तीन प्रकार के अनादि विस्रसा बन्ध
तीन प्रकार के सादि विस्रसा बन्ध
३०५
३०६
३११
३१२
३१३
३१४
३१५
३२७
बन्धन प्रत्ययिक बन्ध
भाजन प्रत्ययिक बन्ध
परिणाम प्रत्ययिक बन्ध
क- तीन प्रकार का प्रयोग बन्ध
ख- चार प्रकार का सादि सान्त बन्ध
३१६
३१७ ३१८-४०८ दो प्रकार का शरीर बन्ध
४०६
४१०
आलापन बन्ध
चार प्रकार का आलीन बन्ध
देश बन्धक, सर्व बन्धक और अबन्धक की अल्प - बहुत्व दशम आराधना उद्देशक
क- राजगृह. अन्य तीर्थिक
ख- अन्य तीर्थिक - शील ही श्रेय है. श्रुत ही श्रेय है ग- महावीर - शील और श्रुत सम्पन्न के चार भांगे आराधक - विराधक
४११
तीन प्रकार की आराधना
४१२ ज्ञान आराधना तीन प्रकार की ४१३ क- दर्शन आराधना तीन प्रकार की ख- चारित्र आराधना तीन प्रकार की ४१४-४१६ तीन आराधनाओं का परस्पर सम्बन्ध ४१७-४२२ तीन आराधनाओं के आराधकों का मोक्ष पुद्गल परिणाम
४२३-४२५ क- पांच प्रकार का पुद्गल परिणाम
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भगवती-सूची
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