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भगवती-सूची
३.२६
श०८ उ०८ प्र०३०४
२६०
२६३
तीन प्रत्यनीक २६१ तीन प्रकार के अनुकम्पा प्रत्यनीक २६२ तीन प्रकार के श्रुत प्रत्यनीक
तीन प्रकार के भाव प्रत्यनीक
व्यवहार २६४ पांच प्रकार का व्यवहार २६५ व्यवहार का फल
कर्मबन्ध २६६ इपिथिक और सांपरायिक कर्म-बन्ध २६७-२६९ इर्यापथिक कर्म बांधने वाले (अनेक विकल्प) २७०-२७२ इर्यापथिक कर्म के भांगे २७३-२७५ सांपरायिक कर्म बांधनेवाले २७६-२७८ सांपरायिक कर्म के भांगे
कर्म प्रकृतियां २७६ आठ कर्म प्रकृतियां
परीषह २८०-२८६ क- बावीस परीषह
ख- चार कर्म के उदय से बावीस परीषह २८७-२६२ कर्मानुसार परीषहों का निर्णय
सूर्य दर्शन २६३ सूर्य दर्शन-प्रातः, मध्याह्न, सायं २६४-२६५ सूर्य की सर्वत्र समान ऊंचाई
___ समीप और दूर से सूर्य के दिखाई देने का हेतु २६६-३०१ सूर्य का प्रकाश क्षेत्र ३०२ सूर्य का ताप क्षेत्र
मानुषोत्तर पर्वत के अन्दर चन्द्र-सूर्य आदि ३०४ मानुषोत्तर पर्वत के बाहर चन्द्र-सूर्य आदि
३०३
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