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श०३ उ०१ प्र०२७
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भगवती-सूची
घ. ईशानेन्द्र की दिव्य ऋद्धि के सम्बन्ध में गौतम की जिज्ञासा __ङ- भ० महावीर द्वारा समाधान १६ दिव्य ऋद्धि का ईशानेन्द्र के शरीर में प्रवेश १७ क- ईशानेन्द्र का पूर्व भव ख- ताम्रलिप्ती नगरी में मौर्यपुत्र गाथापति द्वारा प्रणामा प्रव्रज्या
का ग्रहण करना ग- मौर्यपुत्र का अभिग्रह घ- प्रणामा प्रव्रज्या की विधि ङ- मौर्यपुत्र का अपरनाम तामली च- तामली का पादपोपगमन अनशन छ- इन्द्ररहित बलिचंचा राजधानी के अनेक असुरों द्वारा तामली से ___वैरोचनेन्द्र पद के लिये निदान करने का आग्रह ज- तामली की अस्वीकृति झ- तामली का ईशानेन्द्र होना ज- बलिचंचा राजधानी के असुरों द्वारा तामली के शव का अपमान ट- ईशानेन्द्र के सामने ईशान कल्पवासी देवों द्वारा बलिचंचावासी ___असुरों के कुकृत्य की चर्चा ठ- ईशानेन्द्र द्वारा बलिचंचा राजधानी भष्म
ड- बलिचंचा राजधानीवासी असुरों द्वारा ईशानेन्द्र से क्षमा याचना १८ ईशानेन्द्र की स्थिति १६ ईशानेन्द्र का च्यवन, महाविदेह में जन्म और निर्वाण २०-२१ शकेन्द्र और ईशानेन्द्र के विमानों की ऊंचाई में अन्तर २२-२५ शकेन्द्र का ईशानेन्द्र के पास और ईशानेन्द्र का शकेन्द्र के पास
गमन शकेन्द्र-ईशानेन्द्र के और ईशानेन्द्र-शकेन्द्र के चारों और देखने में समर्थ शकेन्द्र -ईशानेन्द्र से और ईशानेन्द्र-शकेन्द्र से वार्तालाप करने में समर्थ
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