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________________ श०१ उ० प्र० २६१ २७८ भगवती-सूची च- जीवका अन्त और उसके कारण २८३ सप्तम अवकाशान्तर अगुरु-लघु २८४ क- " तनुवात गुरु-लधु घनवात घनोदधि घ. " पृथ्वी ङ- सर्व अवकाशान्तर अगुरु लघु च- द्वीप, समुद्र और क्षेत्र गुरु लघु २८५ चौवीस दण्डकों में जीवों का लघुत्व और गुरुत्व २६६ चार अस्तिकाय का अगुरु-लघुत्व २८७ पुद्ला स्तिकाय का गुरुलघु-अगुरुलघु २८८-२६० छह द्रव्य लेश्या का गुरुलघुत्व छभाव लेश्या का अगुरुलघुत्व २६१ क- दृष्टि का अगुरु लघुत्व ख- चार दर्शन का " " ग- पांच ज्ञान का " " घ- तीन अज्ञान का " " ङ- चार संज्ञा का च. औदारिक आदि चार शरीर का गुरुत्व-लघुत्व छ- कार्मण शरीर का अगुरु लघुत्व ज- दो योग का झ- सकारोपयोग का अ- अनाकारोपयोग का ट- सर्व द्रव्यों ठ- सर्व प्रदेशों " ड- सर्व पर्यायों ढ- अतीत काल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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