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________________ २६८ भगवती-सूची श०१ उ०२ प्र०१३ ३६-७०क- नरयिकों में समान आहार, ख- " " " शरीर " " श्वासोच्छवास आहार, शरीर और श्वासोच्छ्वास के समान न होने का कारण ७१-७२ " " समान कर्म न होने का कारण ७३-७४ " वर्ण ५७-७६ ७७-७८ " " " वेदना ७९-८० " " "क्रिया ८१-८२ " " " आय और साथ उत्पन्न न होने का कारण ८३ क- असुर कुमारों में आहार, शरीर, श्वासोच्छ्वास, वेदना, क्रिया आयु, और उत्पन्न होने में समानता ख- कर्म, वर्ण और लेश्या में विविधता ग- इसी प्रकार नागकुमार से-यावत्-स्तनित कुमार तक असुर कुमारों के समान __ ८४ पृथ्वीकायिकों में आहार, कर्म, वर्ण और लेश्या नैरयिकों के समान ८५-८६ में समान वेदना होने का कारण , क्रिया ,, , , ख. आयु और उत्पन्न होना नैरयिकों के समान ८६ अप्काय से-यावत्-चउरिन्द्रिय तक पृथ्वीकायिकों के समान ६० पंचेन्द्रिय तिर्यंचों में आहार आदि नैरयिकों के समान किन्तु क्रिया में भिन्नता ६१-६२ , , में समान क्रिया न होने के कारण ६३ क- मनुष्यों में शरीर से वेदना पर्यन्त नैरयिकों के समान किन्तु आहार और क्रिया में भिन्नता ८७-८८ क Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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