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________________ समवायांग-सूची त- चौवीस तीर्थंकरों के प्रथम भिक्षा मिलने का समय थ- चौवीस तीर्थंकरों को प्रथम भिक्षा में मिलने वाले पदार्थ द- चौवीस तीर्थंकरों के चैत्यवृक्ष ध- चौवीस तीर्थंकरों के चैत्यवृक्षों की ऊँचाई न. चौवीस तीर्थंकरों के प्रथम शिष्य प- चौवीस तीर्थकरों की प्रथम शिष्याएं १५८क- जम्बूद्वीप के भरत में इस अवसर्पिणी में चक्रवर्तियों के पिता ख- बारह चक्रवर्तियों की माताएं च- नो वासुदेव की माताएं छ- नो बलदेव की माताएं ज- नो दशार मंडल २५८ ग- बारह चक्रवर्ती घ- बारह चक्रवर्तियों के स्त्री रत्न ङ - जम्बूद्वीप के भरत में इस अवसर्पिणी में नो बलदेव और नो वासुदेव के पिता झ- नो बलदेव- वासुदेव के पूर्वभव के नाम ञ - नो बलदेव - वासुदेव के धर्माचार्य ट. तो वासुदेव की निदान भूमियाँ ठ- नो वासुदेव के निदान के नो कारण ड- नो प्रतिवासुदेव ढ - नो वासुदेवों की गति - नो बलदेवों की गति समवाय सूत्र १५८-१५६ Jain Education International १५६ क- जम्बूद्वीप के एरवत क्षेत्र में इस अवसर्पिणी के चौवीस तीर्थंकर ख- जम्बूद्वीप के भरत में आगामी उत्सर्पिणी के सात कुलकर ग- जम्बूद्वीप के एरवत क्षेत्र में आगामी उत्सर्पिणी में दश कुलकर घ- जम्बूद्वीप के भरत में आगामी उत्सर्पिणी में चौवीस तीर्थंकर ङ - चौवीस तीर्थंकरों के पूर्वभव के नाम For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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