SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 287
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समवाय सूत्र १५६ २५६ समवायांग-सूची च- चौवीस तीर्थंकरों के पिता छ- चौवीस तीर्थंकरों की माताएं ज- चौवीस तीर्थंकरों के शिष्य झ- चौवीस तीर्थंकरों की शिष्याएं ज- चौवीस तीर्थंकरों को प्रथम भिक्षा देने वाले ट- चौवीस तीर्थंकरों के चैत्यवृक्ष ठ- जम्बूद्वीप के भरत में आगामी उत्सपि णी में बारह चक्रवर्ती ड- चक्रवतियों के पिता ढ- चक्रवतियों की माताएं ण- चक्रवर्तियों के स्त्री रत्न त- नो बलदेव नो वासुदेव थ- नो बल देव-नो वासूदेवों के पिता द- नो बलदेव की माताएं ध- नो वासुदेव की माताएं न- नो दशार मण्डल प- नो बलदेव वासुदेवों के पूर्व भव के नाम फ- नो निदान भूमियां ब- नो निदान के कारण भ- नो प्रति वासुदेव म- जम्बूद्वीप के एरवत क्षेत्र में आगामी उत्सर्पिणी में___चौवीस तीर्थंकर य- बारह चक्रवर्ती र. बारह चक्रवतियों के पिता ल- बारह चक्रवर्तियों की माताएं व- बारह चक्रवर्तियों के स्त्री रत्न श- नो बलदेव-नो वासुदेवों के पिता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy