SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 285
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समवायसूत्र १५१-१५७ २५७ घ- ज्योतिष्कावासों का वर्णन ङ - वैमानिकावासों का वर्णन १५१ चौवीस दण्डकों में स्थिति १५२ पाँच शरीर का विस्तृत वर्णन १५३ क - अवधिज्ञान का विस्तृत वर्णन ख- वेदना का विस्तृत वर्णन ग- लेश्या का विस्तृत वर्णन घ- आहार का विस्तृत वर्णन चौविस दण्डक में विरह का विस्तृत वर्णन १५४ १५५ क- चौवीस दण्डक में संघयण का वर्णन ख- चौवीस दण्डक में संठाण का वर्णन १५६ चौवीस दण्डक में वेदों का वर्णन १५७ क- कल्पसूत्रान्तर्गत समवसरण वर्णन ख- जम्बूद्वीप के भरत में अतीत उत्सर्पिणी के कुलकर ग- जम्बूद्वीप के भरत में अतीत अवसर्पिणी के कुलकर घ- जम्बूद्वीप के भरत में इस अवसर्पिणी के कुलकर ङ - सात कुलकरों की भार्यायें ठ- चौवीस तर्थंकरों के देवदूष्य ड- चौवीस तर्थंकरों के साथ दीक्षित होनेवाले ढ - चौवीस तर्थकरों के दीक्षा समय के तप - चौवीस तीर्थंकरों के प्रथम भिक्षा दाता Jain Education International समवायांग-सूची च - जम्बूद्वीप के भरत में इस अवसर्पिणी के २४ तीर्थंकरों के पिता छ- चौवीस तीर्थंकरों की माताएं ज- चौवीस तीर्थंकर झ- चौवीस तीर्थंकरों के पूर्वभव के नाम a - चौवीस तीर्थंकरों की शिविकाएं ट- चौवीस तीर्थंकरों की जन्मभूमियाँ For Private & Personal Use Only : www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy