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________________ समवाय ५८-६० २३६ समवायांग-सूची ५ क- महाहिमवंत पर्वत के धनुपृष्ठ की परिधि ख- रुक्मी पर्वत के धनुपृष्ठ की परिधि अठावनवां समवाय प्रथम द्वितीय और पंचम नरक के नरकावास ज्ञानावरणीय, वेदनीय, आयु, नाम और अन्त राय कर्म की उत्तर प्रकृतियां ३ क- गोस्तूभ आवास पर्वत के पश्चिमान्त से वलयामुख पाताल कलश का मध्यभाग का अन्तर ख- दकभास पर्वत के उत्तरान्त से केतुक पाताल कलश के मध्यभाग का अन्तर ग- शंख आवास पर्वत के पूर्वान्त से यूपक पाताल कलश के मध्यभाग का अन्तर घ- दकसीम आवास पर्वत के दक्षिणान्त से ईसर पाताल कलश के मध्यभाग का अन्तर उनसठवां समवाय चन्द्र संवत्सर के दिन-रात भ० सम्भवनाथ का गृहवास भ० मल्लीनाथ के अवधिज्ञानी साठवां समवाय एक मण्डल में सूर्य के रहने का समय लवण समुद्र के ज्वार-भाटे को रोकने वाले नागकुमार भ० विमलनाथ की ऊँचाई बलेन्द्र के सामानिक देव ब्रह्म देवेन्द्र के सामानिक देव सौधर्म, ईशान कल्प के विमान ann m an n m x x w Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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