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________________ समवायांग-सूची २३८ समवाय ५५-५७ पचपनवां समवाय १ भ० मल्लीनाथ का आयु २ मेरुपर्वत के पश्चिमान्त से विजय द्वार के पश्चिमान्त का अंतर ३ क- मेरुपर्वत के उत्तरान्त से विजयन्त द्वार के उत्तरान्त का अन्तर ___ ख- मेरुपर्वत के पूर्वान्त से जयन्त द्वार के पूर्वान्त का अन्तर ग- मेरुपर्वत के दक्षिणान्त से अपराजित द्वार के दक्षिणान्त का अन्तर भ० महावीर के अन्तिम प्रवचन प्रथम-द्वितीय नरक के नरकावास दर्शनावरणीय, नाम और आयुकर्म की उत्तर प्रकृतियाँ छपनवां समवाय जम्बूद्वीप में नक्षत्रों का चन्द्र के साथ योग भ० विमलनाथ के गण-गणधर सत्तावनवां समवाय आचारांग (चूलिका को छोड़कर) सूत्रकृतांग और स्थानांग के अध्ययन गोस्तूभ आवास पर्वत के पूर्वान्त से वलयामुख पाताल कलश के मध्यभाग का अन्तर ३ क- दकभास आवास पर्वत के दक्षिणान्त से केतुक पाताल कलश के मध्यभाग का अन्तर ख- शंख आवास पर्वत के पश्चिमान्त से यूपक पाताल कलश के मध्यभाग का अन्तर ग- दकसीम आवास पर्वत के उत्तरान्त से ईश्वर पाताल कलश के मध्यभाग का अन्तर ४ भ० मल्लीनाथ के मनः पर्यव ज्ञानी Jain Education International For Private & Personal Use only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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