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________________ समवाय ५२-५४ २३७ समवायांग-सूची बावनवां समवाय मोहनीय कर्म के नाम गोस्तूप आवास पर्वत के पूर्वान्त से बलया मुख पाताल कलश के पश्चिमान्त का अन्तर ३ क- दगभास आवास पर्वत के दक्षिणान्त से केतुग पाताल कलश के उत्तरान्त का अन्तर ख- शंख आवास पर्वत के पश्चिमान्त से यूपक पाताल कलश के पूर्वान्त का अन्तर ग- दगसीम आवास पर्वत के उत्तरान्त से ईशर पाताल कलश के दक्षिणान्त का अन्तर ज्ञानावरणीय, नामकर्म और अंतराय कर्म की उत्तर प्रकृतियाँ सौधर्म सनत्कुमार और माहेन्द्र के विमान पनवां समवाय १ क- देवकुरु क्षेत्र की जीवा का आयाम ख- उत्तरकुरुक्षेत्र की जीवा का आयाम २ क- महा हिमवंत वर्षधर पर्वत की जीवा का आयाम ख- रुक्मी वर्षधर पर्वत की जीवाका आयाम ३ भ० महावीर के अनुत्तर देवलोकों में उत्पन्न होने वाले शिष्य ४ सम्मूछिम उरपरिसर्प की स्थिति चोपनवां समवाय १ क- भरत क्षेत्र में उत्सर्पिणी में उत्तम पुरुष भरत क्षेत्र में अवसपिणी में उत्तम पुरुष ख- ऐरवत क्षेत्र में उत्सर्पिणी में उत्तम पुरुष ऐरवत क्षेत्र में अवसर्पिणी में उत्तम पुरुष भ० अरिष्ट नेमीनाथ का छद्मस्थ पर्याय भ० महावीर के एक दिन के प्रवचन ३ भ० अनन्तनाथ के गणधर or mr Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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