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________________ समवायांग-सूची २४० समवाय ६१-६४ Kudo Kuro इकसठवां समवाय पंच वर्षीय युग के ऋतुमास मेरु पर्वत के प्रथम काण्ड की ऊँचाई चन्द्र विमान के समांश सूर्य विमान के समांश बासठवां समवाय पंच वर्षीय युग की पूणिमायें और अमावस्यायें भ० वासुपूज्य के गण और गणधर शुक्लपक्ष की--भाग-वृद्धि - कृष्णपक्ष की-भाग-हानि ५ क- सौधर्म कल्प के प्रथम प्रस्तर में विमान ख- ईशान कल्प के प्रथम प्रस्तर में विमान सर्व वैमानिक देवों के विमान प्रस्तर त्रेसाठवां समवाय भ० ऋषभदेव का गृहवासकाल २ क- हरिवर्ष के मनुष्यों का बाल्यकाल ख- रम्यक वर्ष के मनुष्यों का बाल्यकाल निषध पर्वत पर सूर्य के मण्डल ४ नीलवंत पर्वत पर सूर्य के मण्डल चोसठवां समवाय अष्ट अष्टमिका भिक्षु पडिमा के दिन-रात असुर कुमारों के भवन चमरेन्द्र के सामानिक देव सर्व दधिमुख पर्वतों का उत्सेध-ऊँचाई सौधर्मईशान और ब्रह्मलोक कल्प के विमान KKuwww ww Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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