________________
समवायांग-सूची
२३१
समवाय ३३
४ सौधर्मकल्प के विमान ५ रेवती नक्षत्र के तारे ६ नाट्य के विविध भेद
له شعر
१ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ तमस्तमा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ४ सौधर्म-ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ५ चार अनुत्तर विमानवासी देवों की स्थिति
१ चार अनुत्तर विमानवासी देवों का श्वासोच्छ्वास काल १ चार अनुत्तर विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की बत्तीस भव से मुक्ति सूत्र संख्या १४
तेतीसवां समवाय १ आशातना २ चमरचंचा राजधानी के बाहर दोनों ओर के भूमिघर ३ महाविदेह का विष्कम्भ ४ बाह्य तृतीय मंडल से सूर्यदर्शन की दूरी का अन्तर १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ तमस्तमा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ अप्रतिष्ठान नरकावास के नैरयिकों की स्थिति ४ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ५ सौधर्म-ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ६ चार अनुत्तर विमानवासी देवों की उत्कृष्ट स्थिति ७ सर्वार्थसिद्ध विमान के देवों की स्थिति
१. सर्वार्थसिद्ध विमान के देवों का श्वासोच्छ्वास काल
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org