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________________ समवाय ३१,३२ समवायांग-सूची २३० १ उक्त प्रैवेयक देवों का श्वासोच्छ्वास काल १ उक्त ग्रैवेयक देवों का आहरेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की तीस भव से मुक्ति सूत्र संख्या १८ . इकतीसवां समवाय १ सिद्धों के गुण २ मेरु पर्वत के मूल का परिक्षेप ३ बाह्य मंडल से सूर्यदर्शन की दूरी का प्रमाण ४ अभिवधितमास के दिन-रात ५ आदित्यमास के दिन-रात १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ तमस्तमा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ४ सौधर्म-ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ५ चार अनुत्तर विमानवासी देवों की स्थिति ६ ऊपर के तृतीय ग्रैवेयक विमानों को स्थिति १ उक्त अवेयक देवों का श्वासोच्छवास काल १ उक्त ग्रंवेयक देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की ईकतीस भवों से मुक्ति सूत्र संख्या १४ बत्तीसवां समवाय १ योगसंग्रह २ देवेन्द्र ३ भ० कुंथुनाथ की केवली परिषद् भ० अरहनाथ की केवली परिषद् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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