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________________ समवाय ३० २२६ समवायांग-सूची २ तमस्तमा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ४ सौधर्म-ईशान कल्प के देवों की स्थिति ५ मध्यम ऊपर के ग्रेवेयक देवों की स्थिति ६ ऊपर के प्रथम ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट स्थिति १ उक्त अवेयक देवों का श्वासोच्छावास काल १ उक्त ग्रैवेयक देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की उनत्तीस भवों से मुक्ति सूत्र संख्या १६ तीसवां समवाय १ मोहनीय स्थान २ स्थविर मंडित पुत्र का श्रमण पर्याय ३ एक अहोरात्र के मुहर्त ४ तीस मुहूर्तों के नाम ५ भ० अरहनाथ की ऊंचाई ६ सहस्रार देवेन्द्र के सामानिक देव ७ भ० पाश्वेनाथ का गृहवास ८ भ० महावीर का गृहवास ६ रत्नप्रभा के नरकावास १ रत्नप्रभा के कुछ नै रयिकों की स्थिति २ तमस्तमा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुर देवों की स्थिति ४ ऊपर के तृतीय गवेयक देवों की स्थिति ५ ऊपर के द्वितीय ग्रैवेयक देवों की स्थिति ६ रत्नप्रभा के नरकावास Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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