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________________ समवायांग सूची ३ ईशान कल्प के विमान ४ देवगति बांधने वाले जीव के नामकर्म की उत्तर प्रकृतियों का बंध १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ तमस्तमा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुरकुमारों की स्थिति ४ सौधर्म - ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ५ ऊपर के प्रथम ग्रैवेयकों की स्थिति ६ मध्यम दूसरे ग्रैवेयकों की स्थिति २२८ १ उक्त ग्रैवेयकों का श्वासोच्छ्वास काल १ उक्त ग्रैवेयकों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की अट्ठावीस भवों से मुक्ति सूत्र संख्या १३ उनत्तीसवां समवाय १ पापश्रुत २ आषाढ मास के दिन-रात ३ भाद्रपद मास के दिन-रात ४ कार्तिक मास के दिन-रात ५ पौष मास के दिन-रात ६ फाल्गुन मास के दिन-रात ७ वैशाख मास के दिन-रात Jain Education International पचन्द्र दिन के मुहूर्त ९ सम्यग्दृष्टि जीव के विमान वासी देवों में उत्पन्न होने से पूर्व तीर्थंकर नामकर्म सहित नामकर्म की प्रकृतियों का नियमा बंधन १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों को स्थिति समवाय २६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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