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________________ समवाय २७ २८ २२७ समवायांग-सूची १ उक्त प्रैवेयकों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की छव्वीस भव से मुक्ति सूत्र संख्या ३३ सत्तावीसवां समवाय ६ अनगार गुण २ जम्बूद्वीप में नक्षत्रों का व्यवहार ३ नक्षत्रमास के दिन-रात ४ सौधर्म-ईशान कल्प के विमानों का बाहल्य ५ वेदक सम्यक्त्व के बंध से विरत जीव के सत्ता में मोहनीय की उत्तर प्रकृतियाँ ६ श्रावण शुक्ला सप्तमी को पौरुषी का प्रमाण १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ तमस्तमा के कुछ नैरयिकों का स्थिति ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ४ सौधर्म-ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ५ मध्यम तीसरे ग्रैवेयक देवों की स्थिति ६ मध्यम दूसरे ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट स्थिति -- - - - १ उक्त ग्रंवेयक देवों का श्वासोच्छवास काल १ उक्त ग्रेवेयक देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की सत्तावीस भव से मुक्ति सूत्र संख्या ११ अट्ठावीसवां समवाय १ आचार प्रकल्प २ भवसिद्धिक जीवों के सत्ता में मोहनीय की प्रकृतियाँ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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