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________________ समवायांग-सूची २२४ समवाय २३-२४ १ महित आदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवद्धिकों की बावीस भव से मुक्ति सूत्र संख्या १७ तेईसवां समवाय १ सूत्र कृतांग-दो श्रुतस्कंधों के अध्ययन २ सूर्योदय के समय केवलज्ञान होने वाले तीर्थकर ३ पूर्वभव में एकादश अङ्गों का अध्ययन करनेवाले इस अवसर्पिणी के तीर्थकर ४ पूर्वभव में मांडलिक राज्य करनेवाले इस अवसर्पिणी के तीर्थकर १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ तमस्काय के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ४ सौधर्म-ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ५ तीन मध्यम प्रैवेयक देवों की स्थिति ६ तीन अधम ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट स्थिति १ ग्रैवेयक देवों का श्वासोच्छवास काल १ ग्रैवेयक देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की तेईस भवसे मुक्ति सूत्र संख्या १३ चौवीसवां समवाय १ देवाधिदेव २ लघु हिमालय वर्षधर पर्वत की जीवाका आयाम ३ शिखरी वर्षधर पर्वत की जीवाका आयाम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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