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________________ समवाय २२ ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ४ सौधर्म - ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ५ आरण कल्प के कुछ देवों की स्थिति ६ अच्युत कल्प के कुछ देवों की स्थिति ७ श्रीवत्स आदि विमानवासी देवों की स्थिति २२३ बावीसवां समवाय १ श्री वत्स आदि विमानवासी देवों का स्वासोच्छ्वास काल १ श्री वत्स आदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भव सिद्धिकों की इक्कीस भव से मुक्ति सूत्र संख्या १४ १ परिषह २ दृष्टिवाद में स्वसिद्धान्त के सूत्र ३ दृष्टिवाद में आजीविक सिद्धान्त के सूत्र ४ दृष्टिवाद में त्रैराशिक मत के सूत्र ५ दृष्टिवाद में नय चतुष्क के सूत्र ६ पुद्गल परिणाम के प्रकार Jain Education International समवायांग सूची रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ तमः प्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ तमस्तमप्रभा के कुछ नैरयिकों की जघन्य स्थिति ४ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ५ सौधर्म - ईशानकल्प के कुछ देवों की स्थिति ६ अच्युत कल्प के देवों की उत्कृष्ट स्थिति ७ नीचे के तीन ग्रैवेयक विमानों की स्थिति ८ महित आदि विमानवासी देवों की स्थिति १ महित आदि विमानवासी देवों का श्वासोच्छ्वास काल For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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