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________________ समवाय १६ २२१ १ काल आदि विमानवासी देवों का श्वासोच्छ्वास काल १ काल आदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की अट्ठारह भव से मुक्ति सूत्र संख्या २१ उन्नीसवां समवाय १ ज्ञाताधर्मकथा - - प्रथम श्रुतस्कंध के अध्ययन २ जम्बूद्वीप में सूर्य का ताप क्षेत्र ३ शुक्र महाग्रह के साथ भ्रमण करनेवाले नक्षत्र ४ एक कला का परिमाण ५ राज्यपद पाने के पश्चात् प्रव्रज्या लेनेवाले तीर्थंकर १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ तमः प्रभा के कुछ नरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ४ सौधर्म - ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ५ आनत कल्प के कुछ देवों की उत्कृष्ट स्थिति ६ प्राणत कल्प के कुछ देवों की जघन्य स्थिति ७ आनत आदि विमानवासी देवों की स्थिति १ आनत आदि विमानवासी देवों का श्वासोच्छ्वास काल १ आनत आदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की उन्नीस भव से मुक्ति सूत्र संख्या १५ बीसवां समवाय १ असमाधि स्थान समवायांग सूची Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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