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________________ समवाय १७ २१६ ४ सौधर्म - ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ५ महाशुक्र कल्प के कुछ देवों की स्थिति ६ आवर्त आदि विमानवासी देवों की उत्कृष्ट स्थिति १ आवर्त आदि विमानवासी देवों का श्वासोच्छवास काल १ आवर्त आदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की सोलह भव से मुक्ति सूत्र संख्या १६ सत्रहवां समवाय १ असंयम २ संयम ३ मानुषोत्तर पर्वत की ऊँचाई ४ सर्व वेलंधर अनुवेलंधर नागराजों के आवास पर्वतों की ऊँचाई ५ लवण समुद्र के मध्यभाग में पानी की गहराई ६ चारण मुनियों की तिरछी गति ७ चमरेन्द्र के तिगिच्छ कूट उत्पात पर्वत की ऊँचाई ८ बलेन्द्र के रुचकेन्द्र उत्पात पर्वत की ऊँचाई 8 मरण के प्रकार १० सूक्ष्म सम्पराय गुणस्थान में कर्म प्रकृतियों का बंध १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ धूमप्रभा के कुछ नैरयिकों स्थिति ३ तमः प्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ४ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ५ सौधर्म - ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ६ महाशुक्र कल्प के कुछ देवों की उत्कृष्ट स्थिति समवायांग सूची Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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