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________________ २१८ २१८ समवाय १६. समवायांग-सूची ८ विद्यानुप्रवाद के वस्तु ६ संज्ञी मनुष्य में योग १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ धूमप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ४ सौधर्म-ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ५ महाशुक्र कल्प के कुछ देवों की स्थिति ६ नंद आदि विमानवासी देवों की स्थिति १ नंद आदि विमानवासी देवों का श्वासोच्छ्वास काल १ नंद आदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की पन्द्रह भव से मुक्ति सूत्र संख्या १८ सोलहवां समवाय १ सूत्रकृतांग सोलहवें अध्ययन की गाथायें २ कषाय के भेद ३ मेरु पर्वत के नाम ४ भ० पार्श्वनाथ की उत्कृष्ट श्रमण संपदा ५ आत्मप्रवाद पूर्व के वस्तु ६ चमरेन्द्र और बलेन्द्र के अवतारिकालयन का आयाम-विष्कम्भ ७ लवरण समुद्र के मध्य में जल की वृद्धि १ रत्नप्रभा के कुछ नरयिकों की स्थिति २ धूमप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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