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________________ - समवाय १५ २१७ ४ भ० महावीर की उत्कृष्ट श्रमण संपदा ५ गुणस्थान ६ भरत और ऐरवत क्षेत्र की जीवा का आयाम ७ चक्रवर्ती के रत्न जम्बूद्वीप के लवणसमुद्र में मिलने वाली नदियाँ ८ १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ धूमप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ४ सौधर्म - ईशानकल्प के कुछ देवों की स्थिति ५ लांतक कल्प के देवों की उत्कृष्ट स्थिति ६ महाशुक्र कल्प के देवों की जघन्य स्थिति ७ श्रीकांत आदि विमानवासी देवों की स्थिति १ श्रीकांत आदि विमानवासी देवों का श्वासोच्छ्वास काल १ श्रीकांत आदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की चौदह भवों से मुक्ति सूत्र संख्या १७ पन्द्रहवां समवाय समवायांग सूची १ परमाधार्मिक देव २ भ० नमिनाथ की ऊँचाई ३ कृष्णपक्ष में ध्रुवराहु द्वारा प्रतिदिन चन्द्रकला का आवरण ४ शुक्लपक्ष में ध्रुवराहु द्वारा प्रतिदिन चन्द्रकला का अनावरण ५ शतभिषादि छह नक्षत्रों का चन्द्र के साथ योग काल ६ चैत्र तथा आश्विन में दिन के मुहूर्त `७ चैत्र तथा आश्विन में रात्रि के मुहूर्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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