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________________ समवाय १३ समवायांग-सूची २१६ १ कुछ भवसिद्धिकों की बारह भव से मुक्ति सूत्र संख्या २० तेरहवां समवाय १ क्रियास्थान २ सौधर्म-ईशान कल्प के विमान प्रस्तट ३ सौधर्मावतंसक विमान का आयाम-विष्कम्भ ४ ईशानावतंसक विमान का आयाम-विष्कम्भ ५ जलचर तिर्यंच पंचेन्द्रियों की कुलकोटी ६ प्राणायु पूर्व के वस्तु ७ संज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रियों के योग ८ सूर्यमण्डल का परिमाण १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ धूमप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति । ४ सौधर्म-ईशान कल्प के देवों की स्थिति ५ लांतक कल्प के कुछ देवों की स्थिति ६ वज्र आदि विमानवासी देवों की स्थिति १ वज्र आदि विमानवासी देवों का श्वासोछ्वास काल १ वज्र आदि विनानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की तेरह भव से मुक्ति सूत्र संख्या १७ चौदहवां समवाय १ भूतग्राम २ पूर्व ३ अग्रायणी पूर्व के वस्तु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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