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________________ समवाय १२ बारहवां समवाय २१५ १ ब्रह्म आदि विमानवासी देवों का श्वासोच्छ्वास काल १ ब्रह्म आदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की इग्यारह भव से मुक्ति सूत्र संख्या १६ १ भिक्षु प्रतिमा २ श्रमणों के व्यवहार-संभोग ३ बंदना के आवर्त ४ विजया राजधानी का विष्कम्भ ५ राम बलदेव का पूर्णायु ६ मेरु पर्वत की चूलिका का विष्कम्भ ७ जम्बूद्वीप-जगती के मूल का विष्कम्भ ८ जघन्य रात्रि के मुहूर्त ६ जघन्य दिन के मुहूर्त १० सर्वार्थसिद्ध विमान से ईषत्प्राग्भारा का अन्तर ११ ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी के नाम १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ धूम्रप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ४ सौधर्म-ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ५ लांतक कल्प के कुछ देवों की स्थिति ६ महेन्द्र आदि विमानवासी देवों की स्थिति Jain Education International समवायांग सूची १ महेन्द्र आदि विमानवासी देवों का श्वासोच्छ्वास काल १ महेन्द्र आदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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