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________________ समवायांग सूची २१४ ६ बादर वनस्पतिकाय की उत्कृष्ट स्थिति १० व्यन्तर देवों की जघन्य स्थिति ११ सौधर्म - ईशानकल्प के देवो की स्थिति १२ ब्रह्मलोक कल्प के देवों की स्थिति १३ लांतक कल्प के देवों की स्थिति १४ घोस आदि विमानवासी देवों की स्थिति 1 १ घोस आदि विमानवासी देवों का श्वासोच्छ्वास काल १ घोस आदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भव- सिद्धिकों की दशा भव से मुक्ति सूत्र संख्या २५ इग्यारवां समवाय १ उपासक पडिमा २ लोकान्त से ज्योतिष चक्र का अन्तर ३ जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से ज्योतिष चक्र का अन्तर ४ भ० महावीर के गणधर ५ मूल नक्षत्र के तारे ६ नीचे के तीन ग्रैवेयक ७ मेरु पर्वत के शिखर का विष्कम्भ १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ धूमप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ४ सौधर्म - ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ५ लांतक कल्प के कुछ देवों की स्थिति ६ ब्रह्म आदि विमानवासी देवों की स्थिति Jain Education International For Private & Personal Use Only समवाय ११ www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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