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________________ समवाय १० २१३ समवायांग-सूची ५ ब्रह्मलोक कल्प के देवों की स्थिति ६ पद्म आदि विमानवासी देवों की स्थिति १ पद्म आदि विमानवासी देवों का श्वासोच्छवास काल १ पद्म आदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भव सिद्धिकों की नव भव से मुक्ति सूत्र संख्या २० दशम समवाय १ श्रमण-धर्म २ चित्तसमाधि स्थान ३ मेरुपर्वत के मूल का विष्कम्भ ४ भ० अरिष्टनेमी की ऊंचाई ५ कृष्ण वासुदेव की ऊंचाई ६ राम बलदेव की ऊंचाई १ ज्ञानवृद्धि करने वाले नक्षत्र १ अकर्मभूमि मनुष्यों के कल्प-वृक्ष १ रत्नप्रभा के नैरयिकों की जघन्य स्थिति २ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ पंकप्रभा के नरकावास ४ पंकप्रभा के कुछ नै रयिकों की उत्कृष्ट स्थिति ५ धूमप्रभा के नै रयिकों की जघन्य स्थिति ६ कुछ असुर कुमारों की जघन्य स्थिति ७ नाग कुमार आदि कुछ भवनवासी देवों की जघन्य स्थिति ८ कुछ असुर कुमारों की स्थिति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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