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________________ २१२ समवाय समवायांग-सूची ६ अचि आदि विमानवासी देवों की स्थिति १ अचि आदि विमानवासी देवों का श्वासोच्छ्वास काल १ अचि आदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भव सिद्धिकों की आठ भव से मुक्ति सूत्र संख्या १६ नवम समवाय १ ब्रह्मचर्य गुप्ति २ ब्रह्मचर्य अगुप्ति ३ आचाराङ्ग-ब्रह्मचर्य श्रुतस्कंध के अध्ययन ४ भ० पार्श्वनाथ की ऊंचाई ५ चन्द्र के साथ अभिजित नक्षत्र का योगकाल ६ उत्तरदिशा से चन्द्र के साथ योग करने वाले ७ रत्नप्रभा के ऊपरी समभूभाग से ताराओं की ऊंचाई . १ लवण समुद्र से जम्बूद्वीप में प्रवेश करने वाले मत्स्यों की अवगाहना १ विजय द्वार के एक-एक पार्श्व में होने वाले भूमिधर १ व्यंतर देवों की सुधर्मा सभा की ऊंचाई १ दर्शनावरणीय की उत्तर प्रकृतियाँ १ रत्नप्रभा के कुछ नै रयिकों की स्थिति २ पंकप्रभा के कुछ ने रयिकों की स्थिति ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ४ सौधर्म-ईशान कल्प के देवों की स्थिति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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